August 31, 2012

राजीव दीक्षित जी की जीवनी

राजीव दीक्षित भारत एक  महान व्यक्तित्व था और वह एक सच्चे क्रांतिकारी भारतीय और देशभक्ति कहलाने के लिए लायक है |

राजीव दीक्षित, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ पिछले 20 साल संघर्ष कर रहा थे और भारतीय स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए कार्य कर रहे थे |  वह इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुआ था और स्वतंत्रता सेनानियों के
परिवार से है. वह महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, चंदेर्शेखर आजाद, सुभाष चंदर बॉस, महात्मा गांधी और अन्य की जीवनियों का उन्होंने बचपन में अध्यनन किया |  वह पहले  भारतीय वैज्ञानिक था और जिनोहोनें  ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ काम किया है. उन्होंने  फ्रांस में विज्ञान विषय में पीएचडी की | लेकिन, उन्होंने आपने सर  नाम के रूप में वह कभी नहीं डा. इस्तेमाल किया| उन्होंने  फ्रांस में दूरसंचार क्षेत्र में वैज्ञानिक के रूप में काम किया |


भारत में देशभक्ति के कार्य 


वे पिछले १५ वर्षों से भारतियों को अंग्रेजों का असली इतिहास समझा कर जगा रहे थे । उन्होंने खा के आज भी भारत में ८००० से अधिक विदेशी कंपनियों हैं जो कि अंग्रेजों की तरह भारत के खून पसीने की कमाई को जीरो टेक्निक का सामान बेच कर भारत से बाहर लेकर जा रही है । जिससे भारत की अर्थ्विव्स्था कमजोर हो रही है । उन्होंने कोका कोला, पेप्सी कंपनियों को भारत से भगाने के लिए अभियान भी चलाया जो आज उनके लाखों फोलोवर चला रहे है है । उन्होंने कहा के इन सब में जहर है तथा इन्हे कभी किसी को नहीं पिलाना चाहीये।

राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सीखा उसकी जानकारी आम जनता को दी| उदाहरणार्थ अँग्रेज़ भारत क्यों आए ?, उन्होंने हमें गुलाम क्यों बनाया ?, अँग्रेजों ने भारतीय संस्कृति, शिक्षा उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया ? इस विषय पर विस्तार से सबको बताया ताकि हम पुनः गुलाम न बन सकें| इन बीस वर्षों में राजीव भाई ने लगभग १५००० से अधिक व्याख्यान दिये जिनमें से कुछ आज भी उपलब्ध हैं| आज भारत में ५००० से अधिक विदेशी कम्पनियाँ व्यापार करके हमें लूट रही हैं, उनके खिलाफ राजीव भाई ने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की| देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया|

राजीव दीक्षित के विचार



  1. राजीव भाई का मानना था कि उदारीकरण, निजीकरण, तथा वैश्वीकरण, ये तीन ऐसी बुराइयां है, जो हमारे समाज को तथा देश की संस्कृति व विरासत को तोड़ रही है |
  2. भारतीय न्यायपालिका तथा क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि भारत अभी भी उन कानूनों तथा अधिनियमों में जकड़ा हुआ है जिनका निर्माण ब्रिटिश राज में किया गया था , और इससे देश लगातार गर्त में जाता जा रहा है |
  3. राजीव दीक्षित जी स्वदेशी जनरल स्टोर्स कि एक श्रृंखला बनाने का समर्थन करते थे, जहाँ पर सिर्फ भारत में बने उत्पाद ही बेंचे जाते हैं | इसके पीछे के अवधारणा यह थी, कि उपभोक्ता सस्ते दामों पर उत्पाद तथा सेवाएं ले सकता है और इससे निर्माता से लेकर उपभोक्ता, सभी को सामान फायदा मिलता है, अन्यथा ज्यादातर धन निर्माता व आपूर्तिकर्ता कि झोली में चला जाता है |
  4. राजीव भाई ने टैक्स व्यवस्था के विकेन्द्रीकरण की मांग की, और कहा कि वर्तमान व्यवस्था दफ्तरशाही में भ्रष्टाचार का मूल कारण है | उनका दावा था कि कि टैक्स का 80 प्रतिशत भाग राजनेताओं व अधिकारी वर्ग को भुगतान करने में ही चला जाता है, और सिर्फ 20 प्रतिशत विकास कार्यों में लगता है |
  5. उन्होंने वर्तमान बजट व्यवस्था की पहले कि ब्रिटिश बजट व्यवस्था से तुलना की, और इन दोनों व्यवस्थाओं को सामान बताते हुए आंकड़े पेश किये |
  6. राजीव भाई का स्पष्ठ मत था कि आधुनिक विचारकों ने कृषि क्षेत्र को उपेक्षित कर दिया है | किसान का अत्यधिक शोषण हो रहा है तथा वे आत्महत्या की कगार पर पहुँच चुके हैं |
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